8TH SEMESTER ! भाग- 100( NEW WAR-2)
"अबे ओये रुक"वरुण ने एक जोरदार पंच मेरे हाथ मे मारते हुए बोला"क्यूँ बे साले...इस बीच मे ऐश कहाँ खो गयी...उसे पटाने के लिए तो तूने कोई प्लान नही बनाया और विभा के लिए बहुत बड़े-बड़े कारनामे किए तूने...."
"और तो और... साले ने दीपिका को भी अकेले खाया और विभा को भी...हम सब तो अपना -अपना पकड़ कर रह मलते रह गये..."दूसरे हाथ मे दूसरा पंच जड़ते हुए अरुण बोला....
"अच्छा हुआ,सौरभ और सुलभ नही है...वरना एक-एक पंच वो भी मारते..."अपने दोनो हाथ को अपने ऑपोसिट हाथ की हथेली से सहलाते हुए मैं बोला"अबे सालो दर्द होता है..."
"मुझे तो शक़ है कि तू ऐश से प्यार भी करता था या नही..."एक और बार जोरदार मुक्का मारते हुए वरुण बोला...
"देख मुंडा खराब मत कर...तुम लोगो को क्या लगा कि मैने कभी ऐश के लिए प्लान नही बनाया...अबे गधो ऐश का मामला अलग था, उसका एक बाय्फ्रेंड था जिसका बाप एक गुंडा था...तो सोचो कि यदि मैं सबके सामने उसपर लाइन मारता तो क्या मैं आज तक ज़िंदा बचता...?? जो अरमान को बेवकूफ समझते है, उनसे बड़ा भोला इस दुनिया मे कोई नहीं... मैं राक्षस हूँ राक्षस... एकदम... आगे तो देख... I mean...आगे तो सुन "
"लेकिन फिर भी अपुन को तेरे लव मे फॉल्ट नज़र आ रहा है..."
"ऐश के लिए मैने जो प्लान बनाया था उसपर मैं खुद श्योर नही था कि मेरा वो प्लान कामयाब भी होगा या नही...क्यूंकी ना तो मैं ढंग से ऐश को जानता था और ना ही उसकी पसंद को ...मैं तो ये तक नही जानता था कि उसका घर कहाँ है...?? वो कॉलेज से जाने के बाद क्या करती है...?? किनसे मिलती है....??? बोले तो मैं एक ऐसी लड़की से प्यार करता था जो मेरे लिए एक साल बाद भी बिल्कुल नयी थी.... मै ऐश से बहुत प्यार करता था इसमें कोई दो राय नहीं है... लेकिन कॉलेज मे मेरी एक अलग ही दुनिया थी... "
"फिर तूने उसके लिए जाल कैसे बुना,जो तेरे लिए किसी एलीयन के माफिक थी"
"दिल से किया पगले...मैने उसे दिल से समझा...दिल से ही उसके बारे मे सोचा और दिल से ही प्लान बनाया..."
"घंटा बनाया, बकलोल मत बना मुझे..."एक और मुक्का मुझे जड़ते हुए अरुण बोला"ले बता तो अपने दिल का प्लान..."
"अबे तुम दोनो ने मुझे ढोलक समझ लिया है क्या,जो बजाते ही चले जा रहे हो..."ताव मे आकर मैं उठा और अरुण को तीन-चार नोन-स्टॉप पंच जड़ कर बोला"एक बात बता, तुम मे से किस-किस ने ऐश को फ़ेसबुक पर रिक्वेस्ट भेजी थी..."
"सबने...मतलब कि मैने,तूने,सुलभ,सौरभ, bhu ,नवीन...लगभग सभी ने उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी..."
"और एक्सेप्ट कितनो की हुई "
"सिर्फ़ तेरी..."दिमाग़ को उथल पुथल करते हुए अरुण ने कहा... "साला बेइज्जती करता है "
"तो बेटा यही तो था मेरा प्लान जो slow poison की तरह ऐश के दिल मे उतर रहा था...चल बोल पापा "
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नेक्स्ट डे फर्स्ट पीरियड विभा का ही था और वो अपनी आदतन सज-सवार कर, डियो -विओ मारकर क्लास मे एंट्री मारी और एक-एक स्टूडेंट्स को खड़ा करके उनके सेकेंड सेमेस्टर का रिज़ल्ट पुछने लगी....
"7.7 , AC "खड़े होकर मैने जवाब दिया...
मेरे मुँह से एसी वर्ड सुनकर सब हँसने लगे,साले ये सोच रहे थे कि मैं फेंक रहा हूँ.... मै आश्चर्यचकित रह गया ये देख कर... मतलब मुझे समझ क्या रखा है इन लोगो ने... संस्कार वैली स्कूल का टॉपर था मैं...
"कीप साइलेन्स..."विभा ने सबको शांत कराते हुए मुस्कुरा कर मुझसे पूछा "अरमान ,क्या सच मे तुम पास हो गये..."
"नही ,सब मे बैक है "मैं गुस्साया
"ओके...ओके,..."
"इसकी माँ की सूत ..."विभा को गाली देते हुए मेरे बाद अरुण उठा
"मेरी एक मे बैक है मैम ..."
"लास्ट सेमेस्टर मे भी तुम्हारा बैक था ना..."
"वो निकल गया..."
"गुड..."
उसके बाद बरी आई सौरभ की...
"सेम हियर मैम ..."
"मतलब.."
"मतलब की अरुण की तरह मैं भी एक मे लटक गया हूँ..."
"ओके,सीट डाउन..."
"8.2...क्लिनिक ऑल क्लियर..."सुलभ एक झटके मे खड़ा हुआ और इतना बोलकर दूसरे झटके मे तुरंत बैठ गया...बोले तो वेरी फास्ट प्रोसेस.... कई लोगो को तो समझ भी नहीं आया की सुलभ क्या बोला
सबका रिज़ल्ट पुछने के बाद विभा ने अपना पकाऊ लेक्चर चालू किया, अरुण की आज तबीयत कुछ ढीली -ढीली सी थी, शायद उसको एड्स हो गया था. सुबह उसने कॉलेज आते वक़्त बताया भी था की उसे बुखार टाइप से लग रहा है...सेकेंड सेमेस्टर मे बैक लगने से वो बहुत ज़्यादा ही अपसेट था,जबकि सौरभ पहले की तरह मस्त था.... उल्टा वो दुसरो के मजे ले रहा था.
"दुनिया ने पेल के रख दिया है यार, "पीछे वाली बेंच पर अपने दोनो हाथ टिकाते हुए अरुण बोला...
"अबे बैक तो लगती रहती है...इसमे उदास होने की क्या ज़रूरत है..."सौरभ ने अरुण को चियर अप करने की कोशिश की
"लेकिन हर बार मैं ही क्यूँ...? Why Me...? Man. इस साले अरमान की तो बैक नही लगती...ज़िंदगी झंड हो चुकी है मेरी, लगता है कि छत से कूदकर सुसाइड कर लूँ...लेकिन डरता हूँ कि कही मर ना जाऊं...."
"अबे तेरी तो.... साले सुसाइड मरने के लिए ही किया जाता है और तूने वो कहावत तो सुनी ही होगी की...
~Smooth Roads never make Good drivers
~Smooth Seas never make good sailors
~clear sky never makes good pilots
~problem free life never makes a strong and good person
So Be strong and accept the challenge of my life..
Never Say, why me.. Instead say...TRY ME !!!"
"चल साले... दिमाग़ का ढोकला मत कर और एक लाइन मे इसका मतलब समझा "
"मतलब की बिना बैक लगे आप एक सॉलिड इंजीनियर नही बन सकते बोले तो बैक लगनी चाहिए..."मैने अरुण को सौरभ के द्वारा कही गई लाइन्स का मतलब समझाया....
"तो फिर तू हर बार एसी क्यूँ हो जाता है..."सुलभ ने ताना मारा...
"मेरा तो हर बार खराब पेपर जाता है...लेकिन ये यूनिवर्सिटी वाले पास कर देते है तो इसमे मेरी क्या ग़लती..."
"सुलभ,सौरभ..अरुण-अरमान,क्या बात-चीत चल रही है तुम लोगो के बीच...."विभा ने चॉक का एक छोटा सा टुकड़ा हमारी तरफ फेक कर कहा जिसे मैने लपक कर कैच कर लिया
"अरमान क्या बाते चल रही है उधर..."
विभा के पुछने के साथ ही मैने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया...मैं तो ये अपने प्लान के लिए कर रहा था, जिसमे मुझे विभा मैम को इग्नोर मारना था...लेकिन मेरे तीनो खास दोस्त भी मेरी कॉपी करेंगे ,ये मुझे नही मालूम था...सौरभ और अरुण बीच मे बैठे थे और चेहरा घुमाते वक़्त(--> <--)दोनो का सर एक दूसरे से टकराया भी ...
"मैने तुम चारो से कुछ पुछा है,उसका जवाब दो..."कुछ देर तक विभा इस इंतज़ार मे रही कि हम मे से कोई कुछ बोलेगा ,लेकिन जब हम चारो चुप रहे तो उसने सामने वाले बेंच पर बैठे एक लड़के से एक पेज माँगा और उसपर हम चारो का नेम लिखकर बोली"जाओ इस पर प्रिन्सिपल से साइन करा कर लाओ..."
"मैने सुना नही ठीक से..आपने क्या बोला.."विभा को आँखो ही आँखों से ब्लैकमेल करते हुए मैं मुस्कुराया जिसके बाद विभा हड़बड़ा गयी और पनिशमेंट के तौर पर एक-एक असाइनमेंट का हथौड़ा हमारे सर पर दे मारा.....
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"मैम यहाँ पास ज़ीरो कैसे आया..."हमारे क्लास के टॉपर ने खड़े होकर विभा पर अपना सवाल दागा और सवाल सुनते ही विभा ढेर हो गयी..
वो 10 मिनिट्स तक पहले बुक पर झाँकती रही और फिर अपने नोट्स पर...लेकिन सिचुयेशन पहले के माफिक गुरु-घन्टाल ही रही....उस क्वेस्चन के आन्सर के लिए विभा ने अपने दिमाग़ की माँ -बहन एक कर डाली , लेकिन ऐसा करने के बाद भी उसे जब आन्सर नही मालूम चला तो उसने क्लास के ब्रिलियेंट स्टूडेंट्स की तरफ ये सवाल फेक दिया...और क्लास के उन ब्रिलियेंट स्टूडेंट्स मे से सिर्फ़ एक का हाथ उपर उठा,जो सही मायने मे ब्रिलियेंट था.....
"यस सुलभ...यहाँ आकर समझाओ..."विभा ने सुलभ से रिक्वेस्ट की...
विभा की रिक्वेस्ट पर हमारे सुलभ बाबू का बिहेवियर कुछ रूखा-रूखा सा था...वो बोले"मैम ,मुझे इसका आन्सर तो पता है ,लेकिन मुझे answer बताने मे इंटरेस्ट नही है..."
"साला...."अंदर ही अंदर मैं हंसा...